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महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ी गयी थी इतिहास की सबसे कठोर जंग

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ी गयी थी इतिहास की सबसे कठोर जंग

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ी गयी थी इतिहास की सबसे कठोर जंग

मेवाड़ के रण में एक ऐसी लड़ाई लड़ी गयी थी जिसका विजेता कौन था यह आज तक स्पष्ट नहीं हुआ हैं। आज से लगभग 450 साल पहले मुगलों और राजपूतों के बीच 1576 में हल्दीघाटी की लड़ाई हुई थी। हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून 1576 को मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेना का समर्थन करने वाले घुड़सवार और धनुर्धारियों के बीच लड़ी गई लड़ाई थी। हल्दीघाटी युद्ध का नेतृत्व मान सिंह प्रथम ने किया था। सालों बीत चुके हैं लेकिन आज तक यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि यह लड़ाई किसने जीती थी कथित तौर पर माना जाता है कि मुगल इस लड़ाई में विजेता थे। युद्ध के दौरान जब अकबर और महाराणा प्रताप के बीच तलवारे चली तो यह युद्ध चार घंटे तक चलता रहा। किसी भी पक्ष ने हार नहीं मानी थी। बहादुरी के साथ अकबर से महाराणा प्रताप युद्ध करते रहे। दोनों की तलवारे आपस में बार बार टकराती और कुछ देर बार दूर हो जाती थी, लेकिन कोई भी हार मानने को राजी नहीं था। हल्दीघाटी की लड़ाई इतिहास की मुगलों और राजपूतों के बीच हुई सबसे मशहूर लड़ाई थी।

हल्दीघाटी की लड़ाई का विजेता कौन था?

मेवाड़ के रण में एक ऐसी लड़ाई लड़ी गयी थी जिसका विजेता कौन था यह आज तक स्पष्ट नहीं हुआ हैं। आज से लगभग 450 साल पहले मुगलों और राजपूतों के बीच 1576 में हल्दीघाटी की लड़ाई हुई थी। हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून 1576 को मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेना का समर्थन करने वाले घुड़सवार और धनुर्धारियों के बीच लड़ी गई लड़ाई थी। हल्दीघाटी युद्ध का नेतृत्व मान सिंह प्रथम ने किया था। सालों बीत चुके हैं लेकिन आज तक यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि यह लड़ाई किसने जीती थी कथित तौर पर माना जाता है कि मुगल इस लड़ाई में विजेता थे। युद्ध के दौरान जब अकबर और महाराणा प्रताप के बीच तलवारे चली तो यह युद्ध चार घंटे तक चलता रहा। किसी भी पक्ष ने हार नहीं मानी थी। बहादुरी के साथ अकबर से महाराणा प्रताप युद्ध करते रहे। दोनों की तलवारे आपस में बार बार टकराती और कुछ देर बार दूर हो जाती थी, लेकिन कोई भी हार मानने को राजी नहीं था। हल्दीघाटी की लड़ाई इतिहास की मुगलों और राजपूतों के बीच हुई सबसे मशहूर लड़ाई थी।

हल्दीघाटी की लड़ाई का विजेता कौन था?

लड़ाई में हताहतों की संख्या

लड़ाई में हताहतों के अलग-अलग संख्या है, जिनके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है यह किताबों और इतिहासकारों के अनुसार जारी किए गये हैं। जदुनाथ सरकार के अनुसार समकालीन मेवाड़ी सूत्रों ने हताहतों में इसकी कुल ताकत का 46% यानी की लगभग 1,600 पुरुषों की गिनती की थी। अबुल फजल और निजामुद्दीन अहमद के अनुसार 150 मुगलों का अंत हो गया, जबकि 350 अन्य घायल हो गए, जबकि मेवाड़ सेना ने 500 लोगों को खो दिया। बदायुनी का कहना है कि युद्ध में 500 लोग मारे गए थे, जिनमें से 120 मुसलमान थे। बाद में राजस्थानी इतिहासकारों ने युद्ध के पैमाने पर जोर देने के लिए हताहतों की संख्या 20,000 तक बढ़ा दी है। दोनों तरफ राजपूत सैनिक थे। भयंकर संघर्ष के एक चरण में, बदायूंनी ने आसफ खान से मित्रवत और शत्रु राजपूतों के बीच अंतर करने के लिए कहा। आसफ खान ने उत्तर दिया, "आप जिसे चाहें गोली मार दें, जिस तरफ वे मारे जा सकते हैं, वह इस्लाम के लिए एक लाभ होगा।" केएस लाल ने इस उदाहरण का हवाला देते हुए अनुमान लगाया कि उनके लिए बड़ी संख्या में हिंदू सैनिक मारे गए थे।

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