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क्या आपका भी कोई अपना मिर्गी की बीमारी से जूझ रहा है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपचार।
- ByAnkit Mourya --
- 2023-03-14
क्या आपका भी कोई अपना मिर्गी की बीमारी से जूझ रहा है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपचार।
शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को मिरगी अधिकांश रूप से आती है। अत्यधिक शराब पीना, अधिक शारीरिक श्रम, सिर में चोट लगने से यह बीमारी हो सकती है। इस रोग के दौरान अचानक से दौरा पड़ता है और मरीज जहाँ पर भी होता है वहीँ गिर पड़ता है। उसके हाथ और गर्दन अकड़ जाती है, पलकें एक ही जगह रूक जाती हैं, और रोगी अपने हाथ पैर पटकने लगता है, जीभ अकड़ जाने से बोली नहीं निकलती, मुँह से पीला झाग निकलता है। दांत किटकिटाना और शरीर में कंपकपी होना सामान्य रूप से देखा जाता है। चारों तरफ या तो सब चीजें सफेद दिखाई देती हैं या काला अंधेरा दिखाई देता है। इस तरह के दौरे 1-2 घण्टे तक या 10-15 मिनट से के भी हो सकते हैं। और जब रोगी को होश आता है तब वह थका हुआ होता है और दोबारा सो जाता है। इसके घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं:-
- दौरा पडने पर रोगी को दांयी करवट लिटायें ताकि उसके मुँह से सभी झाग आसानी से निकल जाये। दौरा पड़ने के समय रोगी को कुछ भी न खिलायें बल्कि दौरे के समय चूने की गंध या अमोनिया सुंघानी चाहिये इससे मरीज की बेहोशी दूर हो सकती है।
- ब्राह्मी बूटी का रस 1 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पिलायें । 20 ग्राम शंखपुष्पी का रस और 2 ग्राम कुटकी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर चाटें ।
- नीम की कोमल पत्तियों, अजवायन और काला नमक इन सबको पानी में पीसकर पेस्ट बनाकर सेवन करें।
- मरीज के नाक में शरीफा के पत्तों के रस की कुछ बूंदे डालने से जल्दी होश आता है।
- नींबू के रस में हींग मिलाकर चटाने से काफी लाभ होता है। तुलसी के 4-5 पत्ते कुचलकर उसमें कपूर मिलाकर रोगी को सुधाये । प्याज का रस पानी में घोलकर पिलाने से भी काफी आराम मिलता है। मेंहदी के पत्तों का रस दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है।
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