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लकवा / पक्षाघात के 100% ठीक होने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार।

लकवा / पक्षाघात के 100% ठीक होने के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार।

लकवा / पक्षाघात से ग्रसित रोगी के शरीर का आधा हिस्सा संवेदनहीन हो जाता है। और पेट में अधिक गैस बनना, हृदय पर वायु का दबाव और मस्तिष्क पर वायु का दबाव पड़ने बढ़ने से शरीर पर वायु का झटका लगता है। इसी के परिणाम स्वरूप व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता है। स्नायु शिथिल हो जाते हैं। शरीर का आधा भाग टेढ़ा हो जाता है। उस भाग में सुन्नता रहती है तथा छुने पर कोई संवेदना नहीं होती। दिमाग भी काम करना कम कर देता है। इसके घरेलू नुस्खे निम्नलिखित हैं:-

  • Rhus. Tox.-30, 15-15 मिनट पर 3 बार दो-दो बूँद जीभ पर दें। कम से कम 1 महीने तक सुबह - दोपहर - शाम ।
  • Causticum 1M, दूसरे दिन 2-2 बूँद तीन बार दें। आधे घण्टे या पौने घण्टे के अन्तर पर। हफ्ते में एक दिन देनी चाहिए। दो-तीन महीने में पूरी तरह ठीक हो सकता है। हमेशा शाकाहारी भोजन दें। चाय-कॉफी कभी मत दें। गाय का घी 2-2 बूँद रात में सोते समय थोड़ा गर्म करके डाल दें। गाय के घी में, मस्तिष्क में जमे हुए खून को निकालने की एक विशेष गुण होता है।
  • अकरकरा और राई की बराबर मात्रा को पीसकर शहद में मिलाकर पेस्ट बना लें और जीभ पर दिन में 3 बार मले लकवे की शिकायत दूर हो जाएगी।
  • 250 मी0ली0 गाय के दूध में 8-10 लहसुन की कलियाँ डालकर उबालें । गाढ़ा होने पर रोगी को पिलायें। बीमारी में आराम मिलेगा ।
  • सौंठ और उड़द को उबाल लें और नित्य उसका पानी पियें लकवे में काफी राहत मिलेगी।
  • शहद में एक चम्मच कपास की जड़ का चूर्ण मिलाकर चाटने से अवश्य लाभ मिलता है।
  • शहद में लहसुन की 5-6 कच्ची कलियों को पीसकर मिला लें और जीभ पर रखकर चाटें ।
  • उड़द + कौंच के बीज+ एरंड की जड़ + बला + हींग + सेंधा नमक और थोड़ा शहद-सभी बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनायें और रोगी को पिलायें। बीमारी में आराम मिलेगा ।
  • 250 ग्राम सरसों के तेल में थोड़ी काली मिर्च पीसकर डालें और मालिश करें। सन के बीजों का चूर्ण शहद में मिलाकर रोगी को चटायें, लाभ मिलेगा। कुचले के पत्तों, सांभर का सींग तथा सौंठ-तीनों बराबर मात्रा में लेकर पानी में पियें और लकवे वाले स्थान पर लगायें।
  • दही, 8-10 पत्ते तुलसी के और सेंधा नमक की चटनी को लकवे वाले स्थान पर लेप लगाएं फायदा अवश्य होगा।
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  • पेट के ये रोग आपके लिए हो सकते घातक साबित। बिलकुल भी न करें इग्नोर। - गाय का दूध और पानी समभाग में लेकर उबालिए। जब पानी जल जाए और केवल दूध रह जाए। तो उसे उतारकर पीने से पेट की मरोड़ से....आगे पढ़ें

 

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